भगवद गीता एक ऐसी पावन पुस्तक है, जिसमें हमें जीवन के हर पहलू के बारे में सीखने को मिलता है। इस पुस्तक में श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध के मैदान में जो उपदेश दिए, वो हमारे लिए भी उतने ही प्रासंगिक हैं। आइये जानते है १० Bhagavad Gita Motivational Quotes के बारे में जो आपको जीने का नया आयाम देगे |
भगवद गीता में हमें समता, कर्म, निष्कामता, स्व-नियंत्रण, संकल्प, प्रेम, संतोष, सहनशीलता, स्व-परिचय और मुक्ति के सूत्र मिलते हैं, जो हमें सुखी, संतुलित, समृद्ध, सकारात्मक, स्वस्थ, समर्पित, संतुष्ट, सहनशील, समझदार, स्व-प्रकाशित और मुक्त करने में मदद करते हैं।
Contents
- 1 1. समता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 2 2. कर्म (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 3 3. निष्कामता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 4 4. स्व-नियंत्रण (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 5 5. संकल्प (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 6 6. प्रेम (Bhagavad Gita Motivational Quotes )
- 7 7. संतोष (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 8 8. सहनशीलता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
- 9 9. स्व-परिचय (Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi)
- 10 10. मुक्ति (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
1. समता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“सुख-दु:खे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापम् अवाप्स्यसि ॥”
“सुख और दुःख, लाभ और हानि, जय और पराजय को एक समान बनाकर युद्ध के लिये युद्ध में लग जाओ; इस प्रकार तुम्हें पाप नहीं लगेगा।”
अर्थ: यह श्लोक हमें जीवन की सभी परिस्थितियों में समभाव बनाए रखना सिखाता है। हमें अपने कार्यों के परिणामों से मोह नहीं रखना चाहिए, बल्कि अपना कर्तव्य ईमानदारी और समर्पण के साथ करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ऐसा करने से हम कर्म बंधन से मुक्त हो जायेंगे और मानसिक शांति प्राप्त करेंगे।
2. कर्म (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्म-फल-हेतुर्-भूर्-मा-ते संगोsस्त्-कर्मनि ॥”
“आपको अपना निर्धारित कर्तव्य निभाने का अधिकार है, लेकिन आप कर्म के फल के हकदार नहीं हैं। कभी भी अपने आप को अपनी गतिविधियों के परिणामों का कारण न समझें, और कभी भी अपने कर्तव्य को न करने में संलग्न न हों।
अर्थ: यह श्लोक हमें बिना किसी इनाम की उम्मीद या असफलता के डर के अपना कर्तव्य निभाना सिखाता है। हमें कर्मों के फल की इच्छा से प्रेरित नहीं होना चाहिए और न ही अकर्मण्यता में आसक्त होना चाहिए। हमें ईश्वर की इच्छा के साधन के रूप में कार्य करना चाहिए और परिणाम उसे समर्पित कर देना चाहिए।
3. निष्कामता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः ।
शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम् ॥”
“जो आसक्ति रहित है, जो किसी बात पर हर्ष या शोक नहीं करता, जिसने सभी संपत्तियों का त्याग कर दिया है और जो केवल शरीर के निर्वाह के लिए कर्म करता है, उसे कोई पाप नहीं लगता।”
अर्थ: यह श्लोक हमें सांसारिक वस्तुओं और भावनाओं से अलग होकर सरल और संतुष्ट जीवन जीने की शिक्षा देता है। हमें किसी भी चीज़ का लालच या स्वामित्व नहीं रखना चाहिए, न ही किसी चीज़ से उत्साहित या उदास होना चाहिए। हमें अपने कर्म केवल कर्तव्य के लिए करने चाहिए न कि व्यक्तिगत लाभ या खुशी के लिए।
4. स्व-नियंत्रण (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः ।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धेः परतस्तु सः ॥”
“इंद्रियों को शरीर से श्रेष्ठ कहा जाता है; मन इंद्रियों से श्रेष्ठ है; बुद्धि मन से श्रेष्ठ है; और जो बुद्धि से श्रेष्ठ है, वही (आत्म) है।”
अर्थ: यह श्लोक हमें अपनी इंद्रियों, मन और बुद्धि को नियंत्रित करना और स्वयं के रूप में अपनी वास्तविक पहचान का एहसास करना सिखाता है। इंद्रियाँ संसार की वस्तुओं से आकर्षित होने के लिए प्रवृत्त होती हैं; मन भावनाओं और विचारों से परेशान रहता है; बुद्धि विचारों और विश्वासों से प्रभावित होती है। लेकिन आत्मा इन सबसे परे है, और आनंद और ज्ञान का स्रोत है।
5. संकल्प (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“संकल्पप्रभवान् कामांस्त्यक्त्वा सर्वानशेषतः ।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्ततः ॥”
“मानसिक प्रक्षेपण से उत्पन्न सभी इच्छाओं को त्याग दिया है, और हर तरफ से सभी इंद्रियों को मन से रोक दिया है।”
अर्थ: यह श्लोक हमें अपने मन को नियंत्रित करके अपनी इच्छाओं पर विजय पाना सिखाता है। इच्छाएँ हमारी कल्पना और अपेक्षाओं का उत्पाद हैं, जो हमारे पास जो है उससे असंतुष्ट होने और जो नहीं है उसके लिए तरसने का कारण बनती हैं। अपने मन को अतीत या भविष्य में भटकने से रोककर और वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करके, हम खुद को इच्छाओं के बंधन से मुक्त कर सकते हैं।
6. प्रेम (Bhagavad Gita Motivational Quotes )
“अहं सर्वस्य प्रभवो मत्त: सर्वं प्रवर्तते ।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विता: ॥”
“मैं सबका स्रोत हूँ; मुझसे ही सब कुछ निकलता है; यह जानकर बुद्धिमान लोग प्रेम से मेरी पूजा करते हैं।”
अर्थ: यह श्लोक हमें हर चीज़ के सर्वोच्च कारण और पालनकर्ता के रूप में ईश्वर से प्रेम करना सिखाता है। ईश्वर हर चीज़ और हर व्यक्ति में मौजूद है; वह सभी का निर्माता, संरक्षक और संहारक है। यह जानकर हमें प्रेम और भक्ति से उसकी पूजा करनी चाहिए और सभी प्राणियों में उसे देखना चाहिए।
7. संतोष (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“सुहृन्-मित्रार्युदासीन-मध्-स्त्थ-द्वेष्-बन्धुषु ।
साधुष्-पापेषु च सम-बुद्-ि: विशिष्-ि: ॥”
“जो मित्र, साथी, शत्रु, तटस्थ, मध्यस्थ, द्वेषी, रिश्तेदार, पुण्यात्मा और पापी के प्रति समभाव रखता है, वह श्रेष्ठ है।”
अर्थ: यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमारे पास जो कुछ भी है और जो भी मिले, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। हमें किसी के प्रति पक्षपाती या पक्षपाती नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी के साथ सम्मान और करुणा का व्यवहार करना चाहिए। हमें दूसरों के अच्छे या बुरे गुणों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें ईश्वर की अभिव्यक्ति के रूप में देखना चाहिए।
8. सहनशीलता (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु:खदा: ।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ॥”
“हे कुंती पुत्र, विषयों के साथ इंद्रियों का संपर्क गर्मी और सर्दी, दर्द और खुशी की भावनाओं को जन्म देता है। वे क्षणभंगुर और अनित्य हैं; इसलिए, हे अर्जुन, उन्हें सहन करो।”
अर्थ: यह श्लोक हमें जीवन के द्वंद्वों के प्रति सहनशील होना सिखाता है। हमें सुखों से आसक्त नहीं होना चाहिए और न ही उन दुखों से विमुख होना चाहिए जिन्हें हम अपनी इंद्रियों के माध्यम से अनुभव करते हैं। वे अस्थायी और क्षणभंगुर हैं; वे ऋतुओं की तरह आते हैं और चले जाते हैं। हमें सभी परिस्थितियों में शांत और संयमित रहना चाहिए और उन्हें अपने मन की शांति को भंग नहीं करने देना चाहिए।
9. स्व-परिचय (Bhagavad Gita Motivational Quotes in Hindi)
“नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥”
“उसे हथियार नहीं काट सकते, न आग उसे जला सकती है; पानी उसे गीला नहीं कर सकता, न ही हवा उसे सुखा सकती है।”
अर्थ: यह श्लोक हमें अमर और अविनाशी आत्मा के रूप में अपने वास्तविक स्वरूप को जानना सिखाता है। आत्मा कोई शरीर नहीं है, जिसे भौतिक तत्वों द्वारा हानि पहुंचाई जा सके; न ही यह मन है, जो मानसिक अवस्थाओं से प्रभावित हो सकता है। आत्मा सभी संशोधनों और परिवर्तनों से परे है; यह शाश्वत और अपरिवर्तनीय है. हमें इसका एहसास करना चाहिए और स्वयं को स्वयं के साथ पहचानना चाहिए।
10. मुक्ति (Bhagavad Gita Motivational Quotes)
“सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ॥”
“सभी कर्तव्यों का त्याग करके, केवल मेरी शरण लो; मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; शोक न करें।”
अर्थ: यह श्लोक हमें अपने आप को पूरी तरह से ईश्वर के प्रति समर्पित करना और मुक्ति के लिए उनकी कृपा प्राप्त करना सिखाता है। हमें अपने प्रयासों या गुणों पर नहीं, बल्कि उसकी दया और करुणा पर भरोसा करना चाहिए। हमें अपनी पिछली गलतियों या भविष्य के परिणामों के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसकी इच्छा और योजना पर भरोसा करना चाहिए। वह हमें सभी बंधनों और कष्टों से मुक्त करेगा, और हमें आनंद की सर्वोच्च अवस्था प्रदान करेगा।
ये कुछ अद्भुत भगवद गीता प्रेरक उद्धरण हैं जो हमें एक सफल जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इन सिद्धांतों का पालन करके हम खुशी, सद्भाव, ज्ञान और मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। हमें आशा है कि आपको यह ब्लॉग पोस्ट पढ़कर आनंद आया होगा। पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया। 🙏